अजीर्ण – अपचन (Ajirna – Indigestion)

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अजीर्ण इन दिनों बहुत आम है। शहरी जीवन शैली और आधुनिक जीवन शैली इसका प्रमुख कारण है। आज की दुनिया में जब शारीरिक श्रम बहुत दुर्लभ है, साथ ही सुख भी भरपूर है और जीवन शैली काफी अनियमित हो गई है, पाचन तंत्र के लिए अपनी स्थिति बनाए रखना कभी भी संभव नहीं होता है और हम इसे होने भी नहीं देते हैं।

जब आपदाएं पाचन तंत्र पर अपनी क्षमता से अधिक प्रहार करती हैं, तो हमारा शरीर अजीर्ण जैसे रोगों से ग्रस्त हो जाता है। धीमी गति से बढ़ने वाली इस बीमारी से पहले हम अनजान होते हैं और फिर अजीर्ण के रूप में हमारे भीतर स्थिर हो जाती हैं। आयुर्वेद का नियमित और व्यवस्थित उपचार हमें निश्चित रूप से इस बीमारी से बाहर निकाल सकता है। हमें कारणों, लक्षणों आदि के बारे में जानने की जरूरत है।

कम खाना, ज्यादा खाना, समय पर नहीं खाना, कच्चा या जला हुआ खाना, भूख लगने पर नहीं खाना। भूख न लगने पर भी खाना। ये सभी कारण अजीर्ण का कारण बनते हैं।


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लक्षण –

पेट में दर्द, सूजन, बार-बार डकार आना, बेचैनी, मंद बुखार, कब्ज, गैस।

आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार के अजीर्ण का वर्णन किया गया है और उसी के अनुसार अलग-अलग उपचार भी बताए गए हैं। अजीर्ण के चार प्रकार इस प्रकार हैं।

  1. आमाजीर्ण
  2. विदग्धाजीर्ण
  3. विष्टब्धाजीर्ण
  4. रसशेषाजीर्ण

इन सभी प्रकार में मंदाग्नि प्रमुख कारण होता है, इसलिए अग्नि को प्रदीप्त रखनेवाली औषध इसमें फायदेमंद होती है। सामान्य समस्याओं में आप अलग-अलग प्रयोग करके खुद का इलाज कर सकते हैं लेकिन अगर बीमारी लंबी है, बहुत पुरानी है और लक्षण अधिक हैं, तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से इलाज कराना जरूरी है। इसके विशेषज्ञ की सलाह से स्थायी रूप से रोग का उपचार करना भी अधिक लाभकारी होता है।

हिंगाष्टक चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण, शंखवटी आदि सामान्य औषधि और कई अन्य शास्त्रोंक्त औषध के संयोजन से अजीर्ण ठीक हो जाता है।


कुछ घरेलू उपचार –

  1. पके अनानास को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और उस पर काली मिर्च और सैंधव छिड़ककर खाने के लिए दें।
  2. एक नीबू को बीचमें से आधा काट ले, उसमें अदरक, थोडी़ सी हींग डाल कर कुछ देर अग्नि पर शेक ले, फिर ठंडा करके चूसें।
  3. खाने से पहले अदरक के चिप्स, काली मिर्च और नींबू का रस डालकर 10 मिनट पहले चबा लें। जो पाचन अग्नि को प्रज्वलित करता है और अपच में लाभ देता है।
  4. अदरक और गुड़ या अदरक और चीनी का सेवन करें।
  5. लौंग और हरीतकी को उबालकर उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पी लें।
  6. धनिया और अदरक को उबाल लें। हल्का बुखार और बदहजमी होने पर खासतौर पर फायदा होता है।

पंचकर्म उपचार

पंचकर्म उपचार द्वारा शरीर को शुद्ध करके फिर दवा लेने पर दवा अधिक प्रभावी हो जाती है। जिसमें…

वमन कर्म

विरेचन कर्म

और फिर लंघन। यह प्रमुख कर्म रहेंगे ।


पथ्य पालन –

हल्के द्रव्य जो अग्नि प्रदीप्त करने वाले है वो पथ्य है। पुराना मुंग, लाल चावल, कोमल मूली, लहसुन, पुराना कद्दू, सहिजन फली, परवल, बैंगन, आंवला, संतरा, अनार, नींबू, शहद, मक्खन, घी, छाछ, नमक, दही, अदरक, हींग, अजवायन, मेथी, धनिया, नागरवेल के पत्ते, उबला हुआ हल्का गर्म पानी, कड़वे, तीखे और खट्टे स्वाद वाले पदार्थ।


अपथ्य

मल, मूत्र और वायु के वेग को रोकना, अधिक भोजन, कम भोजन, अनियमित भोजन, बाजार के नास्ते, जंक फूड, जामून, बासी खाद्य पदार्थ, विरुद्ध आहार, अलवी के पत्ते, जागरण आदि से बचें।


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